भारत में कृषि कानून के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शनों को लेकर अमेरिकी सांसदों ने चिंता जाहिर की है. अमेरिका के सात प्रभावशाली सांसदों ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को पत्र लिखा है. इनमें भारतीय-अमेरिकी मूल की सांसद प्रमिला जयपाल भी शामिल हैं. अमेरिकी सांसदों ने पोम्पियो से अपील की है कि वह किसानों के विरोध-प्रदर्शन का मुद्दा भारत सरकार के सामने उठाएं.
भारत ने इससे पहले भी विदेशी नेताओं और राजनेताओं की टिप्पणी को लेकर दो टूक कहा था कि ये भारत का आंतरिक मामला है और प्रोटेस्ट को लेकर उनके बयान गैर-जरूरी और तथ्यों पर आधारित नहीं है. इसी महीने, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, "हमने भारत में किसानों के प्रदर्शन को लेकर अधूरी जानकारियों पर आधारित बयान देखे हैं. ऐसे बयान गैर-जरूरी हैं, खासकर जब ये भारत का आंतरिक मामला है."
अमेरिकी सांसदों ने पोम्पियो को लिखी चिठ्ठी में कहा है कि ये मामला पंजाब से ताल्लुक रखने वाले सिख अमेरिकियों से भी जुड़ा हुआ है और अन्य राज्यों के भी भारतीय अमेरिकियों को प्रभावित करता है. अमेरिकी सांसदों ने लिखा, कई भारतीय-अमेरिकी इससे सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि उनके परिवार के सदस्य और खेती की जमीन पंजाब में है. वे भारत में अपने परिवार वालों को लेकर चिंता में है. इन गंभीर हालात को देखते हुए, हम आपसे भारतीय विदेश मंत्री से बातचीत करने की अपील करते हैं ताकि राजनीतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता को पूरा किया जा सके.
अमेरिकी सांसदों ने कहा, अमेरिका एक ऐसा देश है जो इस तरह के विरोध-प्रदर्शनों से अच्छी तरह परिचित रहा है और वो सामाजिक अव्यवस्था के मौजूदा दौर पर भारत को परामर्श दे सकता है. अमेरिकी सांसदों ने कहा कि हम भारत सरकार के राष्ट्रीय नीति को निर्धारित करने के अधिकार का हम पूरा सम्मान करते हैं. हालांकि, हम भारत के लोगों और विदेश में रह रहे उन लोगों के अधिकारों का भी सम्मान करते हैं जो कृषि कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं और इस कानून को अपनी आर्थिक सुरक्षा पर हमले की तरह देख रहे हैं.
पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के हजारों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर 26 नवंबर से नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान सितंबर महीने में पास हुए कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसानों को डर सता रहा है कि नए कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे निजी खरीदारों पर आश्रित हो जाएंगे. हालांकि, सरकार ने कहा है कि नए कृषि कानूनों से किसानों को और बेहतर मौके मिलेंगे और खेती में नई तकनीक का समावेश होगा. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका है.
अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल के अलावा, पोम्पियो को लिखी गई चिठ्ठी पर सांसद डोनाल्ड नॉरकॉस, ब्रैंडन बोयल, ब्रायन फिट्जपैट्रिक, मैरी गे, डेबी डिंगेल और डेविड ट्रोन के भी हस्ताक्षर है. पिछले कुछ हफ्तों में, अमेरिका के कई सांसदों ने भारत में किसान आंदोलन को लेकर चिंता जाहिर की है.
इसी महीने, अमेरिकी सिख कॉकस के उपाध्यक्ष और सांसद जॉन गैरामेंडी और इसके सदस्य जिम कोस्टा और शीला जैक्सीन ने अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू को एक चिठ्ठी लिखकर किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को समर्थन देने की मांग की थी.
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